प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के तहत उत्तराखंड के 128 जनजातीय गांवों का चयन किया गया है, जिसका उद्देश्य इन गांवों में बुनियादी सुविधाओं, आर्थिक सशक्तिकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है।
देहरादून: प्रधानमंत्री उन्नत ग्राम योजना के तहत उत्तराखंड के सात जिलों के 15 ब्लॉकों में 128 जनजाति बाहुल्य गांवों का चयन किया गया है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारियों को जनजातीय ग्रामों में कैंप लगाकर जनजाति प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड के जनजाति बहुल गांवों की तस्वीर अब बदलने वाली है। प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के तहत राज्य के सात जिलों के 128 गांवों का चयन किया गया है। इस पहल को सफल बनाने के लिए 17 विभाग मिलकर काम करेंगे। राज्य सरकार ने अभियान के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं। मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों को जल्द से जल्द नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा जिलाधिकारियों को भी कहा गया है कि वे जनजाति बहुल गांवों में शिविर आयोजित करें और वहां के निवासियों को जनजाति प्रमाण पत्र प्रदान करना सुनिश्चित करें।
जनजातीय प्रमाण पत्र वितरण के लिए मुख्य सचिव का निर्देश
मंगलवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सभी जनजातीय ग्रामों में कैंप लगाकर जनजातीय समुदाय के लोगों को जनजाति प्रमाण पत्र प्रदान करें। उन्होंने प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्य कर रहे सभी 17 विभागों से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने को कहा। ये नोडल अधिकारी 27 सितंबर को प्रधानमंत्री उन्नत ग्राम योजना के संबंध में जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित मंथन शिविर में भाग लेंगे।
जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान में चयनित गांव जिलेवार
ऊधम सिंह नगर: 68
देहरादून: 41
बागेश्वर: 08
हरिद्वार: 05
पिथौरागढ़: 03
उत्तरकाशी: 02
चमोली: 01