प्रदेश में यात्रा और बड़े मेलाें में बेहतर प्रबंधन के लिए उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद के गठन को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। परिषद के माध्यम से चारधाम यात्रा, आदि कैलाश, पूर्णागिरी, नंदा देवी राजजात यात्रा का संचालन होगा। प्रदेश सरकार व्यवस्था व प्रबंधन के लिए अलग से परिषद को बजट उपलब्ध कराएगी।

तीर्थाटन उत्तराखंड की एक प्रमुख पर्यटन विधा रही है। जिसमें चारधाम यात्रा, नंदा देवी राजजात यात्रा, आदि कैलाश यात्रा समेत अन्य कई प्रमुख यात्राएं हैं। राज्य में बेहतर परिवहन व्यवस्था के साथ सड़क, हवाई कनेक्टिविटी बढ़ने के कारण यात्रा व मेलों में न यात्रा व मेलों में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है।

इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने धार्मिक यात्राओं व मेलों में बेहतर प्रबंधन, नियंत्रण व प्रबंधन के लिए उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद का गठन किया। अब परिषद के माध्यम से यात्राओं व मेलों में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मूलभूत सुविधा, अवस्थापना विकास, रखरखाव के साथ यात्रा को सुगम व सुरक्षित बनाने का काम किया जाएगा।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति ने परिषद के गठन का ड्राफ्ट तैयार किया था। इस पर कैबिनेट ने मुहर लगाई। परिषद का गठन तीन स्तर पर होगा। राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद नीति निर्धारण का काम करेगी।

जबकि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली परिषद के पास अनुश्रवण व मूल्यांकन का जिम्मा होगा। दोनों मंडलों में क्रियान्वयन व प्लानिंग के लिए मंडलायुक्तों की अध्यक्षता में परिषद गठित होगी। गढ़वाल व कुमाऊं के मंडलायुक्त अपने-अपने मंडलों में परिषद के सीईओ होंगे।

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