Thursday, November 14, 2024
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ज्ञानवापी: कोर्ट के फैसले पर अरफा बोली- ‘हर रोज एक नया जख्म’, सुदर्शन न्यूज की प्रत्रकार ने दिया सटीक जवाब

उत्तर प्रदेश की वाराणसी में जिला अदालत ने ज्ञानवापी (Gyanvapi Case) मामले पर अहम फैसला दे दिया है। सोमवार को ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और विग्रहों के संरक्षण को लेकर फैसला दिया है, जिससे हिंदू पक्ष में खुशी की लहर फैल गई है। जिला जज डॉ. अजय कृष्‍ण विश्‍वेश की अदालत मेंटेनेबिलिटी यानी पोषणीयता पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद केस में आगे सुनवाई होगी। कोर्ट को यही फैसला करना था कि यह याचिका सुनने योग्य है या फिर नहीं। वहीं मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी गई है।

कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू पक्ष की महिला याचिकाकर्ता मंजू व्यास ने खुशी से सराबोर होकर कहा, ‘आज पूरा भारत खुश है। सभी हिंदू भाइयों और बहनों से अपील है कि आज घर में दिया जरूर जलाएं।’

जहाँ एक तरफ लोग इस फैसले को सराहनीय बता रहे है तो दूसरी तरफ कुछ लोगो को कोर्ट का फ़ैसला रास नही आ रहा है। इसी कड़ी में द वायर की पत्रकार अरफा खानम ने अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट कर लिखा “हर रोज़ एक नया ज़ख़्म !” हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर ज्ञानवापी का जिक्र नही किया है। लेकिन लोव उनके इस ट्वीट को इसी मामले से जोड़ कर देख रहे है और प्रतिक्रिया दे रहे है।

अरफा खानम के इस ट्वीट के बाद कुछ लोग जनके समर्थन में नजर आए तो कुछ ने उन्हें इतिहास की पन्नो की याद दिलाई। इसी कड़ी में सुदर्शन न्यूज की पत्रकार मीनाक्षी स्रियां ने लिखा “हमें कितने जख्म मिले हैं, पता है दीदी ?

  • 40 हजार से ज्यादा मंदिर टूटे
  • पद्मिनी जैसी अनगिनत माताओं ने जौहर किया
  • टुकड़ों में काटा गया, दीवार में चिनवाया गया, तेल में खौलाया गया
    दीदी।
    अभी तो बहुत जख्मों का हिसाब होना है. आदत डाल लो. न भूलेंगे, माफ करेंगे बल्कि हिसाब लेंगे.
https://twitter.com/Minakshishriyan/status/1569309933157642240?t=bT9SYotBGOaGVyILjU1SAw&s=19
https://twitter.com/Minakshishriyan/status/1569303470867632129?t=_egbJdBbwCAdJ3FHd5tE2Q&s=19

गौरतलब हो, वाराणसी की जिला जज की अदालत में 26 मई से सुनवाई शुरू होने पर पहले 4 दिन मुस्लिम पक्ष और बाद में वादी हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गईं। इसके बाद दोनों पक्षों ने जवाबी बहस की और लिखित बहस भी दाखिल की। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्‍फ की संपत्ति है। आजादी के पहले से वक्‍फ ऐक्‍ट में दर्ज है। इससे संबंधित दस्‍तावेज भी पेश किए गए। वहीं मस्जिद के संबंध में 1936 में दीन मोहम्‍मद केस में सिविल कोर्ट और 1942 में हाई कोर्ट के उस फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि यह मुकदमा सीपीसी ऑर्डर-7 रूल 11 के तहत सुनवाई योग्‍य नहीं है।